Param Punita (परम पुनीता) Poetry Lyrics by Mohit Negi Muntazir: This Hindi Spoken Word Poetry Recited by him. While Param Punita Hindi Poetry written by Mohit Negi Muntazir and Published by poetryhit.com. (Please Show Your Love on our YouTube Channel PoetryHit).
Original Poetry Credits:This Original Poetry Collab With Mohit Negi MuntazirPoetry Title: Param Punita (परम पुनीता)Written: Mohit Negi MuntazirPoetry Language: HindiPublished By: www.poetryhit.com {alertSuccess}
Param Punita Poetry Lyrics in Hindi
परम पुनीता इस धरा पर देवसरिता बह रही है
छलछलाती तट पे जाती देववाणी कह रही है।
युगों- युगों से देव गंधर्व, यक्ष, मानव वास करते
सत्य की वाणी को पाने का सभी प्रयास करते।
आज भी गिरिराज की शीतल पवन ये कह रही है।
परम..।
अतुलनीय श्रृंगार से है ब्रह्म ने इसको बनाया
कैलाशवासी शिव ने आकर स्वयं गंगा को बहाया
थी साक्षी कन्दराएं जो अब भी गंगे-गंगे कह रही हैं।
परम पुनीता..।
धो रही है पाप दुष्टों के स्वयं को मैली करके
दे रही है पुण्यदायी फल सभी को झोली भर के
फिर भी लेकिन आज दूषण की सज़ा यह सह रही है।
परम पुनीता..।
घनाक्षरीपावन पवित्र पुण्यदायी जो है स्वर्गसमउसकी पवित्र माटी शीश धरता हूं मैंगंगा जमुना का जल जहाँ बहे कल कलउस भू पे जन्म लेके दम्भ भरता हूँ मैंप्रेम के स्रोत जहां पग पग फूटते हैंहृदय मैं उनका प्रेम जल भरता हूँ मैंगिरिराज जिसके हैं ताज बने इठलातेउस देवभूमि को नमन करता हूँ मैं।{alertSuccess}
घनाक्षरीआ गयी है बेला अब मतदान करने कीनेता जी भी सज धज कर चले आएंगेअपने पंचवर्षी कारनामों की वो लिस्ट लेकेबोतल मटन और मुर्गा खिलाएंगेरहना तुम सावधान देना उन्हें मतदानजो तुम्हें विकास की रोशनी दिखाएंगेलोकतंत्र की ये पूजा मतदान रूप में हैपांच साल इसका ही फल हम पाएंगे।{alertSuccess}
घनाक्षरीमंद मंद मकरन्द फूलों की बहार चली,सांस सांस महकी है खिला रोम रोम है।भंवरों के गुंजन से जग सारा झूम रहापंछियों के कलरव से डोल रहा व्योम है।आज उन्माद मे है, धरा सारी डोल रहीमानो सर्वत्र फैला, हुआ रस सोम है।प्रेम की विराट लीला, चल रही पग पगजीवन फूलों का भंवरों के लिये होम है।{alertSuccess}
Written By: Mohit Negi Muntazir
© Copyright: Mohit Negi MuntazirPoetryHit.com has permission to compile. These creations cannot be used anywhere without permission from Mohit Negi Muntazir.© कॉपीराइट: मोहित नेगी मुंतज़िरPoetryHit.com के पास संकलन की अनुमति है। इन रचनाओं का प्रयोग मोहित नेगी मुंतज़िर की अनुमति के बिना कहीं नहीं किया जा सकता।{alertWarning}
This is Param Punita (परम पुनीता) Poetry Lyrics in Hindi. If you find any mistake in poetry Like PARAM PUNITA POETRY - Mohit Negi Muntazir | Hindi Spoken Word Poetry. Please contact us and send correct poetry.
If You Want To Publish Your Poetry On This Site Please Feel Free To Contact Us. Thank You for Visit Our Site.
Furthermore Latest Spoken Word Poetry Lyrics In Hindi and English then stay with PoetryHit {alertInfo}